यूएस ने किया ब्लैकलिस्ट तो भड़का पाक, कहा- भारत को भी करते

अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों की सालाना ब्लैकलिस्ट जारी की है जिसमें पाकिस्तान का नाम भी शामिल है. अमेरिका द्वारा ब्लैकलिस्ट करने के कदम को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एकतरफा और मनमाना करार दिया है.
पाकिस्तान लगातार दो सालों से इस लिस्ट में बना हुआ है. अमेरिकी रिपोर्ट में पाकिस्तान समेत नौ देशों में धार्मिक आजादी के व्यवस्थित तौर पर उल्लंघन जारी रखने को लेकर चिंताजनक स्थिति बताई गई है. पिछले साल ब्लैकलिस्ट हुए देशों में से सिर्फ सूडान का नाम इस बार नहीं है.
पाकिस्तान में दशकों से अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न किया जा रहा है हालांकि अमेरिका ने 2018 में पहली बार पाकिस्तान का नाम ब्लैकलिस्ट में डाला था. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बताया कि पाकिस्तान का नाम उन देशों की सूची में शामिल है जिन्हें धार्मिक आजादी को लेकर प्रतिबंधित किया जाएगा.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, “यह घोषणा ना केवल पाकिस्तान की जमीनी हकीकत से कोसों दूर है बल्कि पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है. अमेरिकी प्रतिनिधमंडल चुनिंदा देशों को टारगेट कर रहा है और इससे शायद ही धार्मिक आजादी के मकसद को पूरा करने में मदद मिलेगी.”
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सफाई पेश करते हुए कहा, पाकिस्तान धार्मिक विविधताओं का देश है जहां पर हर धर्म के लोग संवैधानिक सुरक्षा के तहत धार्मिक आजादी का आनंद उठा रहे हैं. पाकिस्तान की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका, हर स्तंभ ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि पाकिस्तान के सभी नागरिकों को उनके धर्म, जाति, रंग के आधार पर भेदभाव किए बिना धार्मिक क्रियाकलापों को करने की पूरी आजादी मिले. देश की न्यायपालिका ने देश के अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक फैसले भी दिए हैं.
पाकिस्तान को इस बात की भी मिर्ची लगी कि अमेरिका ने भारत को ब्लैकलिस्ट नहीं किया. पाकिस्तान ने अपने बयान में कहा, अमेरिकी विदेश मंत्रालय का पूर्वाग्रह इसी से दिख जाता है कि जानबूझकर भारत का नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है. जबकि अमेरिकी कांग्रेस और 70 अमेरिकी सांसदों ने सार्वजनिक तौर पर कश्मीरियों के मूल अधिकार निलंबित होने को लेकर चिंता जताई थी.
पाकिस्तान ने अपने बयान में नागरिकता कानून और एनआरसी का भी हवाला दिया और आरोप लगाया कि भारत सरकार अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कर रही है.
पाकिस्तान ने अमेरिका के ऊपर भी इशारों-इशारों में उंगली उठाई. बयान में कहा गया, धार्मिक स्वतंत्रता की चुनौतियां वैश्विक समस्या है और केवल आपसी सहयोग से ही इसका समाधान निकाला जा सकता है. पाकिस्तान ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों में बढ़ते इस्लामोफोबिया को लेकर चिंता जताई थी. धार्मिक आजादी को बढ़ावा और सुरक्षा देने के लिए भरोसे और समझदारी के माहौल में एक साथ काम करना ही सबसे अच्छा तरीका है.

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